Khufiya Movie Review: फिल्मों का जलवा हमें अक्सर अपनी मजबूत कहानियों, उद्घाटन के साथ दिखाता है, लेकिन ‘ख़ुफ़िया’ एक ऐसी फ़िल्म है जिसमें यह जासूसी थ्रिलर का जलवा कुछ खास नहीं दिखाता है। तबु और अली फ़ाज़ल की मुख्य भूमिका के बावजूद, फ़िल्म में समय बर्बाद करने का आलस्य आ सकता है।
फ़िल्म की कहानी एक जासूसी ऑपरेशन के चारों ओर घूमती है, जिसमें तबु और अली फ़ाज़ल नजर आते हैं। वे एक टीम के हिस्से हैं जो एक संदेश की खोज कर रहे हैं, जिसमें देश के सुरक्षा को खतरे में डालने की संभावना है। फ़िल्म की प्लॉट में सस्पेंस और रोमांच की कमी के बावजूद, इसमें कुछ मजेदार लम्हे हैं, जो दर्शकों को मनोरंजन प्रदान कर सकते हैं।
अली फ़ाज़ल और तबु के प्रदर्शन में कोई शक नहीं है, लेकिन कहानी का विकास और पेशेवर नृत्य का दर्द नहीं दिखाता है। वे उनके चरित्रों को जीवंत बनाने का प्रयास करते हैं, लेकिन कभी-कभी कहानी की महत्त्वपूर्ण घटनाओं में आवाज कमी हो सकती है, जिससे दर्शक जासूसी के रूचि के बिना फ़िल्म की बीच में खो सकते हैं।
‘ख़ुफ़िया’ की निर्देशन का काम भी अच्छा है, लेकिन कहानी में थ्रिल और दर की कमी फ़िल्म को एक सामान्य जासूसी ड्रामा में बदल देती है।फ़िल्म का संगीत और संवाद भी सामान्य हैं, जो इसे अधिक यादगार नहीं बनाते हैं।आखिरकार, ‘ख़ुफ़िया’ एक ऐसी फ़िल्म है जो जासूसी की ज़रूरत रखने वाले दर्शकों को कुछ अधिक थ्रिल और उत्सव प्रदान कर सकती थी, लेकिन इसमें वो जज़्बा और उत्साह नहीं है जो इस जानेमाने शैली के जासूसी थ्रिलर की परियोजना के लिए आवश्यक होता है।
इसलिए, अगर आप एक सस्पेंस भरी और उत्सवपूर्ण जासूसी फ़िल्म की तलाश में हैं, तो ‘ख़ुफ़िया’ आपकी उम्मीदों को पूरा नहीं कर सकती है। लेकिन अगर आप तबु और अली फ़ाज़ल के प्रदर्शन के प्रशंसक हैं, तो आप इसे एक बार देख सकते हैं।फ़िल्म की समीक्षा के रूप में, ‘ख़ुफ़िया’ को 2.5/5 की रेटिंग दी जा सकती है, क्योंकि यह जासूसी थ्रिलर के तर्कसंगत मानदंडों को पूरा नहीं करती है।